वसीयत क्या होती है। Vasiyat kya hoti hai।वसीयत कैसे लिखी जाती है।Vasiyat kaise likhi jati hai

नमस्कार दोस्तो, आपका मेरी बेबसाइट www.samgrashiksha.com में स्वागत है।इस पोस्ट में हम वसीयत क्या होती है?वसीयत कौन कर सकता है?वसीयत कितने प्रकार की होती है?वसीयत कैसे लिखी जाती है?वसीयत कराना क्यों जरूरी हैवसीयत पंजीकरण कैसे करवाएं ? वसीयत कब तक वैध रहती है? के बारे में बताएंगे।Vasiuat kya hoti hai|Vasiyat kaise likhi jati hai|Vasiyat kaun kar sakta hai|Vasiyat kaun likh sakta hai|Vasiyat kaise likhi jati hai|इस पोस्ट में Will या वसीयत से संबंधित सभी जरूरी जानकारी देखने को मिलेगी।इस पोस्ट के बिंदु निम्न हैं

  • वसीयत क्या होती है (What is a Will)
  • वसीयत कौन कर सकता है (Who can make a Will)
  • वसीयत कितने प्रकार की होती है (How many Types of a Will)
  • वसीयत कैसे लिखी जाती है (How to Write a Will)
  • वसीयत कराना क्यों जरूरी है (why is it necessary to make a will)
  • वसीयत पंजीकरण कैसे करवाएं (How to get the will registered)
  • वसीयत कब तक वैध रहती है (how long a will is valid)

वसीयत क्या होती है (What is a Will)| Vasiyat kya hoti hai

वसीयत को अंग्रेजी में Will (विल) कहा जाता है।एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके द्वारा किसी संपत्ति मालिक की मृृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का निर्धारण किया जाता है।

              वसीयत किसी व्यक्ति द्वारा अपने जीवनकाल में ही लिखी जाती है एवं किसी भी समय वह इसमें बदलाव कर सकता है, अथवा उसे निरस्त कर सकता है।किसी व्यक्ति ने वसीयत बनवाकर उसको कानूनी तौर पर उसको पंजीकृत भी करवा दिया हो और अगर वसीयत लिखने वाला व्यक्ति उसको निरस्त करना चाहता है तो उसको इस बात की आजादी है की वह उस वसीयत को निरस्त कर सकता है। वसीयत के बारे में भारतीय अधिनियम-1952 की धारा 2 में बताया गया है। अगर वसीयत लिखने वाला चाहे तो वह व्यक्ति कभी भी अपनी वसीयत में बदलाव करवा सकता है।

              इसे हम आसान भाषा मे कह सकते हैं कि जब कोई व्यक्ति लिखित रूप से अपनी इच्छा से अपनी चल अथवा अचल संपत्ति का अधिकार अपनी इच्छानुसार किसी व्यक्ति को सौंपता है तो वह वसीयत(Will) करना कहलाता है।

वसीयत कौन कर सकता है (Who can make a Will) | Vasiyat kaun kar sakta hai

अगर आप नाबालिग नहीं हैं तथा मानसिक रुप से स्वस्थ हैं, तो भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के अनुसार अपनी वसीयत लिख सकते हैं। वसीयत वह प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं या अपने पूर्वजों से चल या अचल सम्पति प्राप्त की है।इसमें वसीयतकर्ता का मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है। वसीयतकर्ता किसी भी समय वह इसमें बदलाव कर सकता है, अथवा उसे निरस्त कर सकता है।इसके अलावा व्यक्ति कितनी बार वसीयत कर सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

वसीयत कैसे लिखी जाती है (How to Write a Will) | Vasiyat kaise likhi jati hai

वसीयत का कोई निर्धारित फाॅर्मेट (format) नहीं है। यह वकील (advocate) की मदद से अथवा उसके बगैर केवल कागज एवं पेन के जरिए भी लिखी जा सकती है।कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयत स्टाम्प पेपर पर लिखवा कर उसे पंजीकृत करवा सकता है। ऐसा इसलिए क्योकि एक पंजीकृत वसीयत कानूनी रूप से वैध मानी जाती है और अधिक प्रभावशाली होती है। वसीयत लिखते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  • वसीयत बनाने से पहले यह अत्यंत आवश्यक होता है कि व्यक्ति को उन सभी संपत्ति की एक सूची बना लेनी चाहिए जिनको वह स्वयं या अपने पूर्वजों से प्राप्त करता है। ये सम्पति चल व अचल कोई भी हो सकती है।
  • वसीयत बनाते समय, आप उल्लेख कर सकते हैं कि आप इसे स्वतंत्र इच्छा से बना रहे हैं न कि किसी व्यक्ति के प्रभाव या दबाव में कर रहे हैं।
  • वसीयत लिखने से पहले है उन सभी वारिसों की एक सूची बना लेनी चाहिए जिनको आप अपनी संपत्ति में हिस्सा देना चाह रहे हैं।
  • वसीयत लिखने में संपत्ति की हिस्सेदारी का स्पष्ट होना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है कि किस किसको कितना हिस्सा देना है। यह वसीयत में स्पष्ट व सटीक लिखा होना चाहिए। क्योकि हिस्सेदारी को लेकर ही अधिकतम विवाद उत्पन्न होता है।
  • वसीयत लिखे जाने के बाद उस वसीयत की गवाही के लिए दो व्यक्ति की आवश्यकता होती है। जिसमे ये दो गवाह यह घोषणा करते है की यह वसीयत वसीयतकर्ता के स्वयं ज्ञान व जानकारी के आधार पर लिखी गयी हैं।
  • वसीयत लिखने के बाद वसीयतनामे को रजिस्ट्री कार्यालय से पंजीकृत करवा ले क्योकि पंजीकृत वसीयत कानूनी मान्य होती है।

वसीयत कितने प्रकार की होती है (How many Types of a Will) | Vasiyat kitne prakat ki hoti hai

वसीयत दो प्रकार की होती हैं।एक विशेषाधिकार युक्त वसीयत एक अनौपचारिक वसीयत होती है जिसे सिपाहियों, वायु सैनिकों और नौ-सैनिकों द्वारा बनाया जाता है जो साहसिक यात्राओं या युद्ध में गए हुए होते हैं। अन्य सभी वसीयतों को विशेषाधिकार रहित वसीयत कहा जाता है। विशेषाधिकार युक्त वसीयतों को लिखित में या मौखिक घोषणा के रूप में और अपनी जान को जोखिम डालने जा रहे लोगों द्वारा एक अल्प समय के नोटिस द्वारा तैयार करवाया जा सकता है, जबकि विशेषाधिकार रहित वसीयत में औपचारिकताओं को पूरा करने की जरूरत होती है।

विशेषाधिकार युक्त वसीयत क्या है? Visheshadhikar yukt vasiyat kya hoti hai

विशेषाधिकार युक्त वसीयत अनौपचारिक वसीयत होती है, जो कि थल सैनिक, वायु सैनिक और जल सैनिक के लिए होती है। विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत में व्यक्ति अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले लिखित या मौखिक वर्णन के आधार पर वसीयत बनवा सकता है।

विशेषाधिकार रहित वसीयत क्या है? Visheshadhikar rahit vasiyat kya hoti hai

यह आम वसीयत होती है, जिसमे कोई व्यक्ति अपनी चल अचल सम्पति के बटवारे के बारे में लिखता है । इसको उसके मृत्यु के बाद लागु माना जाता है। इस वसीयत को बनाने में किसी प्रकार की औपचारिकता को पूरा करने की जरूरत होती है।

वसीयत कराना क्यों जरूरी है (why is it necessary to make a will)| Vasiyat karana kyu jaruri haiya fayde hai

  • वसीयत कराना इसलिए जरुरी है जिससे उसकी मृत्यु के बाद परिवार में संपत्ति के सम्बन्ध में किसी बात को लेकर कोई विवाद उत्पन्न न हो।
  • उस व्यक्ति की दशा में जिसकी कोई संतान या वारिस नहीं है और उसने अपने रिश्तेदार में किसी व्यक्ति के नाम वसीयत नहीं की है तो ऐसे में उसकी मृत्यु के बाद वह संपत्ति राज्य सरकार को चली जाती है।  यदि वारिस है तो ऐसे में उसकी चल या अचल सम्पति उसके वारिस के नाम हो जाती है। 
  • यदि वसीयत बनाये बिना व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में उसकी संपत्ति के बटवारे को लेकर कानूनी कार्यवाही करनी पड़ती है।
  • यदि किसी व्यक्ति द्वारा संपत्ति को लेकर दीवानी न्यायालय में झूठा, फर्जी वाद दायर कर उस संपत्ति पर अपना दावा किया जाता है तो ऐसे में उस संपत्ति के मालिक द्वारा अपनी संपत्ति को अपनी संपत्ति साबित करने के लिए न्यायालय में उस वसीयत को साक्ष्य के रूप में दाखिल किया जाता है।

वसीयत पंजीकरण कैसे करवाएं (How to get the will registered) | वसीयत पंजीकृत करवाने के फायदे |Vasiyat panjikaran kaise karvaye| Vasiyat panjikaran ke k

वसीयत को तैयार करने के पश्चात् उसे पंजीकृत करना अच्छा आवश्यक है, क्योंकि पंजीकृत वसीयत ही कानूनी रूप से मान्य होती है। इससे आपको वसीयत की एक कानूनी प्रति मिल जाती। इसके अलावा वसीयत में अगर किसी तरह की छेड़छाड़ होती है, तो मूल वसीयत और जमा की गई वसीयत की तुलना की जा सकती है। इसके अलावा, यदि मूल वसीयत किसी वजह से नष्ट या खो जाती है, तो आप इसकी दूसरी प्रति रजिस्ट्रार कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं।

वसीयत को पंजीकृत करने के लिए आपको रजिस्ट्रार कार्यालय में जाना होता है। वसीयत का ड्रॉफ्ट ठीक से तैयार करने के लिए पहले किसी वकील से सलाह लें और

उप-पंजीयक कार्यालय से पंजीकरण का समय मांगे।

आप जिस राज्य में रहते हैं, वहां के नियमों की जाँच करें और फिर आवश्यक पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें।

उप-पंजीयक के पास दो गवाहों को लेकर जाएं। लगभग एक सप्ताह में, आपको पंजीकृत प्रति मिल जायेगी।

वसीयत कब तक वैध रहती है (how long a will is valid)

यह एक बहुत ही काॅमन सवाल है कि वसीयत की वैधता अवधि कितनी होती है? यह कब तक वैध रहेगी? तो दोस्तों आपको बता दें कि वसीयतकर्ता द्वारा की गई वसीयत उसके मृत्यु होने पर लागू हो जाती है तथा अनंतकाल तक वैध रहती है। यदि कोई वसीयत को चुनौती देना चाहता है तो वह वसीयत लागू होने के 12 वर्ष के भीतर उसे चुनौती दे सकता है।

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